
हरिद्वार: साल में चार बार होने वाले नवरात्रि के दिनों में वर्जित कार्यों के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है. नवरात्रि (Navratri) यानी 9 दिन और 9 रात्रि तक किया जाने वाला अनुष्ठान होता है. वैदिक पंचांग के अनुसार साल में चार बार नवरात्रि के दिनों का आगमन मानव कल्याण के लिए होता है. इन नौ दिनों में शक्ति की देवी दुर्गा की पूजा अर्चना, आराधना, व्रत आदि किए जाते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा अर्चना, आराधना की जाती है और देवी मां प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं.
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि के दिनों में कुछ कार्य करने पर देवी दुर्गा क्रोधित होती हैं और श्रद्धालु को जन्मों जन्म तक पाप भोगना पड़ता है. चलिए विस्तार से जानते हैं कि नवरात्रि के दिनों में कौनसे कार्य वर्जित होते हैं…
नवरात्रि का महत्व
इसकी ज्यादा जानकारी देते हुए धार्मिक ग्रंथों के जानकारी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि हिंदू धर्म में नवरात्रि के दिन पवित्र और विशेष फल प्रदान करने वाले होते हैं. इन दिनों में देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा अर्चना, आराधना और नवरात्रि के व्रत करने का विधान है. 9 रात्रि और 9 दिन तक केवल फलाहार ही लिया जाता है. वह बताते हैं कि नवरात्रि (Shardiya Navratri) के सभी 9 दिनों में कुछ नियमों का पालन किया जाना बेहद जरूरी होता है. यदि इनका पालन नहीं किया जाए, तो जीवन नर्क के समान हो जाता है. नवरात्रि के दिन पवित्र होते हैं इसीलिए इन दिनों में भक्ति में बाधा बनाने वाले कार्य वर्जित होते है.
नवरात्रि के दिनों में आलस्य नहीं करना चाहिए, तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए, प्याज, लहसुन, शलजम, मसूर की दाल, बैंगन, मांस, मदिरा पूर्ण रूप से वर्जित, किसी का अपमान नहीं करना, बाल नहीं कटवाना, सेविंग नहीं करना, नाखून नहीं काटना, मन में नकारात्मक भाव का नहीं होना आदि सभी कार्य वर्जित होते हैं. यदि यह कार्य नवरात्रि के दिनों में किए जाते हैं, तो व्यक्ति को दोष लगता है जिसका निवारण जन्मों जन्म तक नहीं होता है. नवरात्रि के दिनों में मन में सकारात्मक भाव का होना बेहद जरूरी होता है और शक्ति की देवी मन की सभी इच्छाएं बिन मांगे ही पूरी कर देती हैं.