
आने वाले दिनो में लोन सस्ते हो सकते हैं। RBI ने लोन और बैंकों के लिए पूंजी जुटाने से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। इनमें से तीन बदलाव 1 अक्टूबर से लागू होंगे, जबकि अन्य प्रस्तावों पर 20 अक्टूबर 2025 तक जनता की राय मांगी है।
यहां हम एक-एक कर इन बदलावों के बारे में डिटेल में बता रहे हैं…
1. लोन सस्ते हो सकते हैं
सबसे अहम बदलाव फ्लोटिंग लोन की ब्याज दरों से जुड़ा है। मौजूदा नियमों में बैंक बाहरी बेंचमार्क पर स्प्रेड को सिर्फ तीन साल में एक बार बदल सकते थे।
इससे उधारकर्ता बाजार की स्थिति बेहतर होने पर भी ऊंचे स्प्रेड में लॉक हो जाते थे। नए नियमों में बैंकों को स्प्रेड जल्दी कम करने की छूट मिलेगी।
स्प्रेड का मतलब है वह अतिरिक्त ब्याज दर जो बैंक लोन की ब्याज दर में जोड़ते हैं। जब आप फ्लोटिंग रेट पर लोन लेते हैं, तो उसकी ब्याज दर रिजर्व बैंक के रेपो रेट पर आधारित होती है।
बैंक इस रेपो रेट के ऊपर अपना कुछ अतिरिक्त प्रतिशत (स्प्रेड) जोड़ते हैं, जो उनकी लागत, जोखिम और मुनाफे को कवर करता है।
उदाहरण: अगर रेपो रेट 6% है और बैंक का स्प्रेड 2% है, तो आपको कुल 8% ब्याज देना होगा। पुराने नियमों में बैंक इस स्प्रेड को तीन साल तक नहीं बदल सकते थे।
इससे लोन लेने वाले को फायदा नहीं मिलता था। अब नए नियमों में बैंक जल्दी स्प्रेड कम कर सकते हैं, जिससे आपकी ब्याज दर कम हो सकती है।
वहीं पहले जब बैंक फ्लोटिंग रेट लोन की ब्याज दर में बदलाव करते थे, तो उन्हें ग्राहक को फिक्स्ड रेट का विकल्प देना पड़ता था।
अब नए नियमों में बैंकों को यह तय करने की ज्यादा आजादी होगी कि वे फिक्स्ड रेट का विकल्प दें या नहीं। इससे बैंकों को अपनी लेंडिंग प्रक्रिया में बदलाव की आजादी मिलेगी।
2. सोने-चांदी का लोन अब आसान
RBI ने सोने और चांदी पर लोन देने के दायरे को बढ़ाया है। अभी तक बैंक ज्वेलर्स को कच्चा सोना या चांदी खरीदने के लिए लोन नहीं दे सकते थे।
उन्हें सिर्फ वर्किंग कैपिटल के लिए लोन मिलता था। अब वे लोग भी लोन ले सकेंगे जो मैन्युफैक्चरिंग या इंडस्ट्रियल काम में सोने को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
इसके अलावा टियर-3 और टियर-4 अर्बन कोऑपरेटिव बैंक भी सोने के बदले वर्किंग कैपिटल लोन दे सकेंगे। इससे क्षेत्रीय ज्वेलर्स और सोने पर आधारित मैन्युफैक्चरिंग करने वाले छोटे व्यवसायों को फायदा होगा।
3. बैंकों की बैलेंस शीट और मजबूत होगी
आरबीआई ने बैंकों की बैलेंस शीट को और मजबूत करने के लिए एक नियम में बदलाव किया है, जो परपेचुअल डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स (PDI) से जुड़ा है। ये PDI एक तरह के बॉन्ड होते हैं, जिनके जरिए बैंक पैसे जुटाते हैं।
नए नियमों में बैंकों को विदेशी मुद्रा या विदेश में रुपए के बॉन्ड के जरिए ज्यादा PDI जारी करने की छूट दी गई है। इससे बैंक विदेशी निवेशकों से ज्यादा पूंजी जुटा सकेंगे। ये पूंजी (टियर-1 कैपिटल) बैंकों को और मजबूत बनाएगी, ताकि वे ज्यादा लोन दे सकें और आर्थिक जोखिमों से बेहतर तरीके से निपट सकें।
वो प्रस्ताव जिनपर RBI ने राय मांगी…
1. क्रेडिट जांच और रिपोर्टिंग में सख्ती: आरबीआई ने क्रेडिट सिस्टम को मजबूत करने के लिए साप्ताहिक रिपोर्टिंग का प्रस्ताव दिया है।
अभी क्रेडिट संस्थान (जैसे बैंक) हर 15 दिन में उधारकर्ताओं का डेटा क्रेडिट ब्यूरो को भेजते हैं। वीकली रिपोर्टिंग से क्रेडिट रिपोर्ट्स ज्यादा फ्रेश और भरोसेमंद होगी।
2. गोल्ड मेटल लोन स्कीम में बदलाव: GML स्कीम 1998 में शुरू हुई थी, जिसके तहत बैंक ज्वेलर्स को कच्चा सोना देकर वर्किंग कैपिटल देते हैं। आरबीआई GML स्कीम को और आसान करने की तैयारी में है। इसमें दो बड़े बदलाव करने का प्रस्ताव दिया गया है…
- पहले ज्वेलर्स को GML 180 दिनों में चुकाना पड़ता था। अब, एक्सपोर्टर्स को छोड़कर बाकी ज्वेलर्स के लिए ये अवधि बढ़ाकर 270 दिन की जा सकती है।
- पहले GML सिर्फ ज्वेलरी एक्सपोर्टर्स और देशी ज्वेलरी मैन्युफैक्चरर्स को मिलता था। अब नए नियमों में उन लोगों को भी GML मिलेगा, जो खुद ज्वेलरी नहीं बनाते, लेकिन अपने ज्वेलरी प्रोडक्शन को आउटसोर्स करते हैं। इससे ज्यादा लोग स्कीम का फायदा उठा सकेंगे।
ड्राफ्ट पर 20 अक्टूबर तक राय भेज सकते हैं
अपनी राय RBI के “कनेक्ट 2 रेगुलेट” पोर्टल या डिपार्टमेंट ऑफ रेगुलेशन को ईमेल के जरिए 20 अक्टूबर तक भेज सकते हैं।